Category: डिसेंबर

अंजाम

— संजय बोरुडे मै  देख रहा हुं ये मायुस बेबस और मरीदे  शहर ; जिसके फौलादी शिकंजेमें धधकते हुये दिलोंकी अहमियत और कश्मकश ललकार रही है ; मानसिक प्रदुषनको । मै  देख रहा हुं ; शहर कितने जलदीनमे है । उसे इतनी फुरसत कहा कि वो देख सके; गिलोतटीनपे कत्ल की गयी छाटपटाती इन्सानियत और […]