Category: 2011

फिर एक बार सुदामा …!

फिर एक बार सुदामा अपने चावल लेकर आ पहुंचा द्वारका .. उसका नगर देखकर दांग रहना लोगोंका उसपर हँसना  बिलकुल वैसाही जैसे पहले हुआ था .. वह दरबारमें आया , सिंघासन पर कृष्ण था ही नहीं..; मदांध सत्ता का  जहरीला पुत्र -अहंकार बैठा था.. बचा था तो सिर्फ कालयवन की क्रूरता  और  कालिया का कालकूट जहर..! अब वो देखो वहां  सुदामा पड़ा है  अहंकारसे लात खाकर उस कोने में . और अपनेही चावल खा रहा हैं, अपने ही आसुओंके साथ…….! —–संजय बोरुडे .