अंजाम
— संजय बोरुडे
मै देख रहा हुं
ये मायुस बेबस और मरीदे शहर ;
जिसके फौलादी शिकंजेमें
धधकते हुये दिलोंकी
अहमियत और कश्मकश
ललकार रही है ;
मानसिक प्रदुषनको ।
मै देख रहा हुं ;
शहर कितने जलदीनमे है ।
उसे इतनी फुरसत कहा कि
वो देख सके;
गिलोतटीनपे कत्ल की गयी
छाटपटाती इन्सानियत
और प्रर्थानाघरोमे
दम तोडती हुई प्रर्थानाये ।
अब
शहर
बाद-दुआओकी
शिकस्तमे।
और
मै
देख राहा हू ;
इस मायुस,बेबस
शहरका दर्दनाक
अंजाम .!!!! |