गुलांचो कुमारी की कवितायें
परिचय जन्म तिथि -२३/०८/१९८८ जन्म स्थान -झारखंड , जिला रामगढ़, गांव रोला , एक सामान्य कृषक कुड़मि (महतो) परिवार में । माताजी का नाम -श्रीमति रशमी देवी,पिताजी का नाम – श्री भुनेश्वर महतो(मुत्तुरवार गुष्टी),पति – श्री दिनेश्वर महतो(टिडुआर गुष्टी(टोटम) ) संतान : स्नेहा रानी,दीक्षा दानी,छवी पानी,दुर्गेश नंदन ‘टिडुआर ‘(पुत्र) शिक्षा :- १.बोर्ड (माध्यमिक)-एस.एस .हाई स्कूल गोला। २.इंटर – महिला महाविद्यालय, हजारीबाग। ३. बी.ए (हिन्दी प्रतिष्ठा) -महिला महाविद्यालय, हजारीबाग। ४. एम.ए.(हिंदी) – विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग। ५. नेट– युजीसी नेट-२०१७, ६ . नेट- जेआरएफ -युजीसी सीबीएसई -२०१८, ७.बी.एड– एस .बी .एम बीएड डिग्री कॉलेज, हजारीबाग। ८. जे-टैट – झारखंड सरकार द्वारा आयोजित -2018,९. पी.एचडी – विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग | शोध निदेशक –“डॉ सुबोध सिंह शिवगीत”, कदमा, हजारीबाग। प्रकाशित रचनाएँ- (क)मौलिक साहित्य– १. ‘ मैं पाप क्षितिज से हार गई’ , (कविता संग्रह) २०२२ , रश्मि प्रकाशन लखनऊ, उत्तर प्रदेश। २. ‘कविता हामर सोक नाय २०२३ (खोरठा काव्य संग्रह) ब्राइट पब्लिकेशन, मध्यप्रदेश। ३ . बाहर से ही लौट गए २०२४ (काव्यसंग्रह ) ४. सामुहिक संकलन –खोरठा कविता में –‘जुरगुड़ा ‘ब्राइट पब्लीकेशन मध्यप्रदेश। ५. पत्र-पत्रिकाओं में शोध आलेख –१. .’साहित्यलोक’ –(भाषा, साहित्य ,संस्कृति और साहित्यिक सिध्दांत की अनुसंधान शोध पत्रिका ) केन्द्रीय हिन्दी विभाग, त्रिभुवन विश्वविद्यालय कीर्तिपुर, नेपाल के संगोष्ठी विशेषांक में प्रकाशित। २. वैश्विक परिप्रेक्ष्य में राम और रामायण का स्वरूप ‘सेमिनार विशेषांक ‘ पुस्तक में आलेख “रमणिका गुप्ता की कहानियों में स्त्री (२०२१) ’झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा पत्रिका ‘रांची से प्रकाशित। प्रथम खोरठा कविता प्रकाशन –‘मांय लय दे मोबाइल ‘20अगस्त 2021’प्रभात खबर, झारखंड के माय माटी कालम’ में।तब से लगातार खोरठा कविताएं प्रकाशित होती रही हैं – प्रभात खबर,’कोलफिल्ड मिरर’ ‘संध्या प्रहरी ‘ ‘अखड़ा ‘ ‘ झार न्यूज ‘ ,सेवन टाइम्स ‘, ‘आदिवासी’, प्रसिद्ध पत्रिकाओं में। झारखंड सरकार के जन संपर्क विभाग, रांची से प्रकाशित पत्रिका “आदिवासी”के अंक 360में ,’आदिवासी कहानियां और कहानीकार २०२२ से संबंधित आलेख प्रकाशित। स्मारिका में साहित्यकार परिचय और एक कविता प्रकाशित। सम्मान:- १. ‘शोध संवाद फाउंडेशन नई दिल्ली ‘ द्वारा विशिष्ट शोध आलेख सम्मान 2021से सम्मानित। २ . हिंदी कविता लेखन के लिए ‘विश्व हिंदी लेखिका मंच ‘दिल्ली द्वारा –‘नारी गौरव सम्मान ‘एवं ‘ नारी सक्ती सागर’ सम्मान से सम्मानित। ३‘त्रिभुवन विश्वविद्यालय, ’नेपाल’ , के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘में स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। ३. हिंदी साहित्य संस्कृति एवं राष्ट्रभाषा के उन्नयन एवं संचयन के लिए ‘साहित्य संचय संवाद फाउंडेशन ‘, द्वारा _’भारत -मलेशिया गौरव सम्मान’ से सम्मानित। ४. विश्व साहित्य सेवा संस्थान द्वारा साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन में योगदान हेतु “विश्व साहित्य शिखर सम्मान २०२३ “से सम्मानित। ५. इंडोनेशिया सम्मान २०२४से सम्मानित। ६. ‘तृतीय साहित्य महोत्सव प्रयास’ में स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया । शोध पत्र प्रस्तुत – १. शोध संवाद फाउंडेशन नई दिल्ली एवं जानकी देवी विश्व विद्यालय, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, दिल्ली में। २.शोध संवाद फाउंडेशन, नई दिल्ली एवं त्रिभुवन विश्वविद्यालय,नेपाल के हिंदी संकाय विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, नेपाल में। ३.दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मलेशिया में। साहित्यिक विदेश यात्रा – १. पांच दिवसीय नेपाल यात्रा- २०२२, २. दस दिवसीय मलेशिया यात्रा-२०२३, ३. इंडोनेशिया और वियतनाम यात्रा -२०२४ विशेष:- १. भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधिन साहित्य अकादमी नई दिल्ली में, कुड़माली व खोरठा भाषा का प्रतिनिधित्व करते हुए,काव्य पाठ। २ . श्रीक्षेत्र राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव, ओड़िशा में, अतिथि साहित्यकार के रूप में सामिल। संप्रति – PGT शिक्षक (हिंदी )उत्क्रमित +2उच्च विद्यालय खपिया, डाड़ी, हजारीबाग, ( झारखंड सरकार) वर्तमान में पदभार – १ .अखिल भारतीय कुरमी महासभा की जिला कोषाध्यक्ष, २ हजारीबाग इकाई , झारखंड साहित्य अकादमी संघर्ष समिति की जिला अध्यक्ष।,३. झारोटेफ की जिला सह सचिव (महिला प्रकोष्ठ) संपर्क -चरही, हजारीबाग, झारखंड। गुलांचो कुमारी की कुड़मालि कविता १. दादुर कोहे जेठ असाड़ेंबिहिन छिंटि लहअ लहअ हेरिआरि टर टर दादुर कोहे ऑंइख फुटाइ निहि पोड़ी गेलअ खेत जोभि भादरअ मासें अबरि मॅंञ थिरअ करि चित मगज मारि मारि जतेक जनि, ततेक काथा मन भभकें बइहारे कथिक बुताइं रहता लोक दादुर कोहे ऑंइख फाड़ि (इस कविता में मेढ़क सुखाड़ की स्थिति में किसानों का दुख व्यक्त कर रहा है।दादुर कोहे का अर्थ -मेढ़क बोल रहा है ) *** २. सॅंञा गेला भुइल मर सॅंआक भिनु बाथान खेत गठ गांव छड़ि सहर टांञ लेहत ठर ठेकान फुटअल गटे पिरिति फुल मधु मासे मञ बेआकुल कॉस बने कॉंस डले हिआ उथल अ पाथल मारे बहे नदि कुल -कुल केइसे राखअबं जिआ कुल कथिक जालाञ ,उधरा फिकिरें संइञा गेला मके भुइल ? (यह वियोग श्रृंगार रस की कविता है। शीर्षक – पिया मुझे भूल गए हैं) *** ३. ढेकि जखअन सास , ढ़ेकि कुटेक लहत नाम सच कहेइहअ माञ सुनि जाहउ जिउ फाइट आधा राति अचके सॅंञा दहत डॉइट खाटिक भितुर धकलि माञ गअ दहत भुंञे सॉइट ढॉकचुइं ढॉकचुइं जखन हेउअइ हॅंइड़सारे सास कहे लागहत उसकाउए चॉंड़े चॉंड़े अखरा हिंसकाइल आहात सांझ-बिहान कुटि ढ़ेकि नॉउआ मदाड़ि मञ भेक भय जाहि लेकि कांड़िञ हाथ देंथिं कलअजा जाहउ फेकाइ सॉंभरेक चोटें उखइर लेखे जाहि छेंछाइ छटकि ननद मर बड़ि चलनगइर चॉंड़े चॉंड़े ढ़ेकि कुटि लगाइ देहत चाउरेक ढेइर चाउरेक डिंग देखि ढरकेइ ऑंखिक लर एसन घारे किना देखि खजल रहें बर ! एगरेजि इसकूले पढ़ाइ राखलें चासा से फाराके बिहा देउएक बेरा माञ गअ आँचरे बांइध देले लेका बर भीतर खॉधाइ चाइरअ दिगे थेचकलाहे खॉंचा बॉंइध डेमनि काचा पइसा मांगे गेले बनि जात सभे मेमनि एक किटि जिउ माञ सबुर करउ नाहि जिनगि काटबउ कइसे किछु बुइध उरिआउ नाहि (ढेकि एक औजार है जिसके द्वारा हम धान कुटकर चावल निकालते हैं। कविता में एक पढ़ी-लिखी लड़की का दुख उजागर किया गया है, जो वह अपने ससुराल में झेलती है ) *** ४. नेगाचार बुता नि रहले केथिक मरद पुता नि हेले केथिक माञ चासा नि उठले केथिक बरद नि धेनुआले केथिक गाय बरदेक बुते खेति उठे थानेक बले बाछुड़ गाय अरंडी पातेक सेंकें अलवाति राड़ेक बुते बासमति माञ पुरखा निखा कोहि गेला – कॅंटि देखि बाप कॉंदे कॅंटा देखि हॅंसे माञ मटा देखि जनि हॅंसे पेट देखि कॉंदे माञ तअ, केथिक जालाञ किनाले ऑंइ बॉंइ पुरखा थथि सॅंचा भाभा आपन चरखॉइ देहाक तेल छड़ा परेक थथि छभ परकिरतिक बुताञ चला भाइ परकिरतिके बुताइं डंड़ाइल आहे हामिनक गटा नेगाचार ..! ( यह कविता ब्राह्मण वाद का विरोध और प्रकृति वाद का समर्थन करती है। ) *** ५.